Jagannath puri ka raja kaun hai :- दोस्तों आपको बेशक पता होगा कि जगन्नाथ पुरी पूरे भारत भर में कितना प्रसिद्ध है यहां पर मंदिर का दर्शन करने श्रद्धालु कितने कितने दूर से आते हैं और भगवान के मंदिर का दर्शन करते हैं, अब ऐसे में जगन्नाथ पुरी से जुड़े कई सारे सवाल उत्पन्न होते हैं।
जो कि लोगों को पता ही नहीं है और उनका जिज्ञासा है, कि वह इन सवालों का उत्तर प्राप्त करें अब ऐसे में यह सवाल है।
कि आखिर फिलहाल के समय में जगन्नाथ पुरी का राजा कौन है जगन्नाथ पुरी कहां है जगन्नाथ पुरी जाने का सबसे अच्छा रास्ता और सबसे अच्छा मौसम कब है और जगन्नाथ पुरी कब जाया जाता है।
अगर आपके मन में भी इस तरह के सवाल उमड़ रहे हैं और आप इन सभी सवालों का जवाब प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे तो चलिए शुरू करते हैं, इस लेख को बिना देरी किए हुए और जगन्नाथ पुरी से संबंधित सभी जानकारी को प्राप्त करते हैं।
जगन्नाथ पुरी के बारे में जानकारी
जगन्नाथ पुरी भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने आते हैं।
ऐसी मान्यता है, कि जगन्नाथ मंदिर के केवल दर्शन करने मात्र से ही भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं क्योंकि लोगों का ऐसा मानना है कि इस मंदिर में कृष्ण भगवान जी का दिल विराजमान है।
वर्तमान समय में पूरी के राजा कौन है? (jagannath puri ka raja kaun hai)
वर्तमान समय में जगन्नाथ पुरी के राजा गजपति महाराज दिव्या सिंह देबा जी है। इन्हें गजपति महाराज या फिर पूरी के राजा के रूप में जाना जाता है। उड़ीसा में स्थित जगन्नाथ मंदिर भगवान श्री विष्णु के आठवें अवतार को समर्पित है। यह मंदिर विश्व में प्रसिद्ध है।
जगन्नाथ पुरी की कहानी
जगन्नाथ पुरी के बारे में अलग-अलग कहानी सुनाने को मिलती है। उन्हें में से एक कहानी यह भी है।
पुराने समय में भारत में मालवा नाम का राज्य होता था। जहां पर इंद्रदेव शासन करते थे। इंद्रदेव भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे और उनकी इच्छा थी कि वह अपनी जीवन में एक बार भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन करें।
एक समय की बात है जब एक ऋषि इंद्रदेव के दरबार में आए और उन्होंने इंद्रदेव से पूछा कि क्या उन्होंने उड़ीसा में पूजे जाने वाले भगवान विष्णु नील माधव के बारे में जानते हैं? इंद्रदेव ने हैरानी से कहा कि मैंने इसके बारे में नहीं सुना। इसकी जानकारी इंद्र देव ने ऋषि से जानी चाहिए तो उन्होंने कहा कि वह भी इसकी तलाश कर रहे हैं।
इसके बाद इंद्रदेव ने नील माधव की पूजा के स्थान को बहुत ढूंढा पर उन्हें कहीं ऐसा स्थान नहीं मिला। इसके बाद भगवान विष्णु उनके सपने में आए और उन्होंने कहा कि पूरी के समंदर के पास समंदर में एक लकड़ी का टुकड़ा तैर रहा है, जिसे निकलवा कर तुम नील माधव की मूर्ति बनाकर उसकी स्थापना करो।
इंद्रदेव ने उस टुकड़े को जैसे तैसे निकलवाया और मूर्ति बनाने के लिए कारिगरो को बुलाया, परंतु कोई भी कारीगर उसे बनाने में सफल न रहे। फिर एक दिन एक बूढ़ा कारीगर आया जिसने यह शर्त रखी कि वह 21 दिनों तक एक गुप्त कमरे में बंद रहकर अकेले इन मूर्तियों को बनाएगा और तब तक कोई भी कमरे में ना आए।
इंद्रदेव ने यह शर्त मंजूर कर ली और उन्हें एक गुप्त कमरे में रख दिया। लगभग 15 दिनों तक कमरे के अंदर से छेनी हथौड़ी इत्यादि की आवजे आती रही है। एक दिन वह आवाज नहीं आई तो गुप्तचर डर गए कि कहीं बूढ़े कारीगर को कुछ हो तो नहीं गया?
वह राजा के पास गए। उन्होंने राजा को बताया तो राजा ने दरवाजा खुलवाया। दरवाजा खोलने पर राजा ने पाया कि अंदर से बूढ़ा कारीगर गायब है और तीन मूर्तियां बनी है जो अधूरी है। उनके अभी पैर बनने बाकी थे। यह नील माधव और उनके दो भाई-बहन की मूर्तियां थी।
यह जितनी बनी थी वैसे ही इनकी मंदिर में स्थापना करवा दी गयी और तब से लेकर आज तक इसी पवित्र स्थान पर इन तीन मूर्तियों की पूजा भगवान जगन्नाथ के रूप में की जाती है।
कई कहानियों से तो यह भी सुनने को मिलता है कि नील माधव की मूर्ति में श्री कृष्ण का दिल भी स्थापित है, परंतु उसे हर कोई व्यक्ति अपनी नग्न आंखों से नहीं देख सकता।
जगन्नाथ पुरी के कुछ रहस्य
- जगन्नाथ पुरी का झंडा हर रोज बदला जाता है और ऐसा कहा जाता है कि अगर जगन्नाथ पुरी का मंदिर का झंडा किसी एक दिन नहीं बदला गया तो मंदिर आने वाले 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा।
- मंदिर की ऊंचाई 215 फीट है।
- जगन्नाथ मंदिर के गुबन्द् पर बने हुए चक्र को नील चक्र कहा जाता है। नील चक्र अष्ट धातु से मिलकर बना है।
- जगन्नाथ मंदिर पर बने गुबन्द् की परछाई कभी भी जमीन पर नहीं पड़ती। चाहे सूरज किसी भी दिशा में क्यों ना हो।
- जगन्नाथ मंदिर के ऊपर लगा झंडा हमेशा हवा के उल्ट दिशा में लहराता रहता है।
- ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ मंदिर के भक्त परिसर में एक बहुत बड़ी रसोई है जहां पर बना हुआ खाना कभी भी नहीं पड़ता और ना ही बर्बाद होता है। चाहे श्रद्धालुओं की संख्या कुछ भी हो।
- हर 12 साल में जगन्नाथ पुरी में स्थापित तीनों मूर्तियां बदली जाती है और इस काम को करते समय मंदिर तथा इसके आसपास के cities की light को बंद कर दिया जाता है। यह काम पूरी तरह से अंधेरे में किया जाता है। मंदिर के बाहर z+ सुरक्षा दी जाती है। मूर्ति बदलने का काम मंदिर का पुजारी करता है और उसके अलावा किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं होती।
- ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ पुरी के मंदिर में उपस्थित उस लकड़ी में आज भी श्री कृष्ण का दिल मौजूद है जो धड़कता भी है।
FAQ,S:-
Q1. जगन्नाथ में 3 देवता कौन हैं ?
Ans. भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण और भाई बलराम और बहन सुभद्रा यह ही 3 देवता है, जिनका पूजन जगन्नाथ पूरी में किया जाता है।
Q2. जगन्नाथ किसका अवतार है ?
Ans. भगवान विष्णु के अवतार को जगन्नाथ जी का रूप माना जाता है कुछ लोगों का कहना है, कि यह कृष्ण जी का भी रूप है मगर दोनों बात एक ही है।
Q3. पुरी जगन्नाथ मंदिर की छाया क्यों नहीं है ?
Ans. हम आपके जानकारी के लिए बता दे, कि मंदिर के ढांचें पर ही परछाई बनने के कारण वह जमीन तक नहीं पहुंचती और न ही नजर आती है, इसीलिए पुरी में जगन्नाथ मंदिर की छाया नजर नही आती है।
Q4. जगन्नाथ की मूर्ति हर 12 साल में क्यों बदली जाती है ?
Ans. जगन्नाथ भगवान की मूर्ति हर 12 साल में इसलिए बदल दी जाती है, क्योंकि उनकी मूर्ति पूरी तरह से लकड़ी की बनी होती है और लकड़ी में छह आने की दर से इसे चेंज कर दिया जाता है।
Conclusion :-
हमें उम्मीद है, कि आप हमारे इस लेख ( Jagannath puri ka raja kaun hai ) को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़ चुके होंगे और इस लेख के माध्यम से आप जान चुके होंगे कि वर्तमान के समय में जगन्नाथ पुरी का राजा कौन है जगन्नाथ पुरी कहां पर है और जगन्नाथ पुरी कैसे जाया जा सकता है।
अगर आपके मन में जगन्नाथ पुरी से संबंधित अभी भी कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं हमारे समूह आपके पूछे गए सवालों का जवाब अवश्य देगी।
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