कबीरदास का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था? | Kabir Das ka Janm kab aur kahan hua tha

Kabir Das ka Janm kab aur kahan hua tha :- हम सभी बचपन से कबीर दास जी के कविताएं पढ़ रहे हैं। साथ ही हमने कबीर दास जी की जन्म और मृत्यु के बारे में भी पढ़ा है।

लेकिन कबीर दास जी की जन्म को लेकर कई मत होने के कारण लोग जानना चाहते हैं, कि kabir das ka janm kab aur kahan hua tha ?

आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हम विस्तार पूर्वक से समझेंगे, कि kabir das ka janm kab aur kahan hua tha? साथ ही हम यह भी जानेंगे कि इनका जन्म कैसे हुआ। और कबीर दास जी के जन्म को लेकर सभी मतों को भी समझेंगे। आइये लेख को शुरू करें।


कबीरदास जी कौन थे?

कबीरदास, जिन्हें कबीर, कबीर परमेश्वर, या कबीर साहेब के नाम से भी जाना जाता है, 14वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमार्गी उपशाखा के महानतम कवि थे।

इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। इनकी रचनाएँ सिक्खों के आदि ग्रंथ में सम्मिलित की गयी हैं। वे एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास रखते थे।

उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की। उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उनका अनुसरण किया। कबीर पंथ नामक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं।


कबीरदास का जन्म कब हुआ था ? – Kabir Das ka Janm kab hua tha

कबीरदास का जन्म कब हुआ, यह ठीक-ठीक ज्ञात नहीं है। मोटे तौर पर उनका जन्म 14वीं-15वीं शताब्दी में काशी (वर्तमान समय का वाराणसी) में हुआ था। एक मान्यता के अनुसार उनका अवतरण सन 1398 (संवत 1455), में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को ब्रह्ममूहर्त के समय लहरतारा तालाब में कमल पर हुआ था।

ऐसा माना जाता है की इस तालाब से कबीरदास जी को नीरू नीमा नामक दंपति उठा ले गए थे । उनकी इस लीला को उनके अनुयायी कबीर साहेब प्रकट दिवस के रूप में मनाते हैं। नीरू नीमा जुलाहे का काम करते थे।


कबीरदास का जन्म कहाँ हुआ था ? (Kabir Das ka Janm kahan hua tha)

कबीरदास का जन्म स्थान लहरतारा, काशी (वर्तमान समय का वाराणसी) माना जाता है। यह एक प्राचीन तालाब है, जो कि काशी के पंचगंगा घाटों में से एक है। कहा जाता है, कि कबीरदास का जन्म इसी तालाब में कमल पर हुआ था।

कबीर दास जी के जन्मस्थान के बारे में तीन मत हैं:

मगहर: मगहर के पक्ष में यह तर्क दिया जाता है कि कबीर दास जी ने अपनी रचनाओं में मगहर का उल्लेख किया है।

एक दोहे में, उन्होंने कहा है कि “पहिले दर्शन मगहर पायो पुनी कासी आधार ऐ”

इस दोहे का अर्थ है कि उन्होंने पहले मगहर देखा और फिर काशी को अपना आधार बनाया। मगहर आजकल वाराणसी के पास ही है और वहां कबीर दास की समाधि भी है।

मगहर वाराणसी के पास एक शहर है, और वहां कबीर दास जी का मकबरा भी है।

काशी: कबीर दास जी का अधिकांश जीवन काशी में व्यतीत हुआ। वे काशी के एक जुलाहे के रूप में जाने जाते थे।

कई बार कबीरपंथियों का भी यही मत था कि कबीर दास जी का जन्म काशी में हुआ। हालांकि, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

आजमगढ़: कुछ लोग आजमगढ़ जिले के बेलाहारा गण को कबीर दास जी का जन्मस्थान मानते हैं। उनका मानना है कि “बेलाहारा” ही बदलते-बदलते “लहरतारा” हो गया।

हालांकि, बेलाहारा गण का सही पता नहीं चल पाया है, और यह भी पता नहीं चल पाया है, कि “बेलाहारा” कैसे “लहरतारा” हो गया।


कबीरदास का जन्म कैसे हुआ ?

कबीरदास के जन्म के बारे में कई मत प्रचलित हैं। एक मत के अनुसार, कबीरदास का जन्म एक ब्राह्मण विधवा के गर्भ से हुआ था। वह गर्भवती होने के बाद एक तालाब में डूब गई थी।

उसी समय, एक मुस्लिम जुलाहा नीरू और उसकी पत्नी नीमा तालाब में कपड़े धो रहे थे। उन्होंने कबीरदास को एक कमल पर तैरते हुए देखा और उसे उठा लिया। नीरू और नीमा ने ही कबीरदास का पालन-पोषण किया।

एक अन्य मत के अनुसार, कबीरदास का जन्म एक अद्भुत घटना के रूप में हुआ था। एक रात, एक विधवा ब्राह्मण का सपना देखा कि एक नदी के किनारे एक फूल खिल रहा है।

उसने उस फूल को तोड़ा और अपने घर ले आई। उसने फूल को अपने पलंग पर रख दिया और सो गई। अगली सुबह, उसने देखा कि फूल से एक बालक निकल आया है। वह बालक ही कबीरदास था।

लेकिन कबीरदास के जन्म की आधुनिक मान्यता के अनुसार, कबीरदास का जन्म एक सामान्य व्यक्ति के रूप में हुआ था।

वे कहते हैं कि कबीरदास के जन्म के बारे में प्रचलित मत केवल उनके महान व्यक्तित्व और आध्यात्मिक ज्ञान की ओर संकेत करती हैं।


कबीरदास की रचनाएँ कौन कौन सी है ?

कबीरदास ने दोहे, छंद, सवैया, और गीत आदि काव्य-रूपों में रचनाएँ की हैं। उनकी रचनाओं में भक्ति, ज्ञान, प्रेम, और सामाजिक चेतना के भाव मिलते हैं।

कबीरदास ने अपनी रचनाओं में सरल और सहज भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने अपने दोहों और छंदों के माध्यम से लोगों को धर्म और दर्शन के बारे में सिखाया। कबीरदास की रचनाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • कबीर ग्रंथावली
  • बीजक
  • संतवाणी
  • भक्तमाल

कबीर दास की मृत्यु कैसे हुई ?

कबीर दास की मृत्यु 1494 ईस्वी में मगहर में हुई थी। प्राचीन मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति काशी में मरता है, उसे स्वर्ग मिलता है, और जो व्यक्ति मगहर में मरता है, उसे नरक मिलता है।

इस रूढ़िवादी विश्वास को तोड़ने के लिए, संत कबीर अपने अंतिम दिनों में मगहर चले गए। ऐसा माना जाता है कि उन्हें अपनी मृत्यु का पहले ही अंदेशा हो गया था।

कुछ लोगों का मानना है कि कबीर को मगहर जाने के लिए मजबूर किया गया था। कबीर के शत्रु चाहते थे कि कबीर की मृत्यु के बाद उन्हें मुक्ति न मिले।

कबीर दास की मृत्यु के बाद, उनके शव को लेकर काफी विवाद हुआ। हिंदू चाहते थे कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया जाए, जबकि मुसलमान चाहते थे कि उनका अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति-रिवाज से किया जाए।

विवाद के दौरान, जब उनके शव को खोला गया, तो केवल फूल थे। आधे फूलों को हिंदुओं ने और आधे को मुसलमानों ने ले लिया।

हिंदुओं ने फूलों का हिंदू रीति-रिवाज से और मुसलमानों ने फूलों का मुस्लिम रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया।


निष्कर्ष :-

आज के इस लेख में हमने जाना, कि kabir das ka janm kab aur kahan hua tha ? उम्मीद है, कि इस लेख के माध्यम से आपको कबीर दास जी के जन्म और मृत्यु के बारे में सभी आवश्यक जानकारियां मिल पाई होगी।

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FAQ’s :-

Q1. संत कबीर का जन्म और मृत्यु कब हुआ था ?

Ans :- संत कबीर दास जी का जन्म 13 से 14 वीं शताब्दी के बीच हुआ था और उनकी मृत्यु 
1518 में मगहर में हुआ था।

Q2. कबीर का जन्म व मृत्यु क्या है ?

Ans :- कबीर दास जी का जन्म के बारे में 1398 और 1455 में विभिन्नताएं चलती हैं। 
जबकि इनका मृत्यु 1518 में हो गई थी।

Q3. कबीर ने कितने दोहा लिखे थे ?

Ans :- संत कबीर जी ने ऐसे तो कई दोहे लिखे हैं लेकिन उन्होंने अपने जीवन पर आधारित लगभग 25 दोहे लिखे।

Q4. कबीर दास के माता-पिता का नाम क्या था ?

Ans :- कबीर दास के माता-पिता का नाम नीरू और नीमा बताया जाता है।

Q5. कबीर दास जी की पत्नी का क्या नाम था?

Ans :- कबीर दास जी की पत्नी का नाम लोई था।

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