Samajshastra Ke Janak Kaun Hai – समाज शास्त्र के जनक कौन है ?

Samajshastra ke Janak kaun hai :- जब आप आईएस, यूपीएससी, एसएससी, रेलव इत्यदि का एग्जाम देने जाते हैं, तो आपको वहां पर अक्सर ऐसे सवाल देखने को मिलते हैं।

जैसे कि समाजशास्त्र के जनक कौन है ? भूगोल के जनक कौन हैं ? और इतिहास के जनक कौन हैं ? इस प्रकार के सवाल अक्सर देखने को मिलते हैं और बहुत से लोग इस तरह के सवालों का जवाब नहीं दे पाते हैं।

अगर आप भी इस तरह के सवालों का जवाब जानना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे तो चलिए शुरू करते हैं, इस लेख को बिना देरी किए हुए।


समाजशास्त्र क्या है ? | Samajshastra Kya hai ?

समाजशास्त्र के जनक का नाम जानने से पहले लिए हम यह जानते हैं, कि समाजशास्त्र क्या होता है ? समाजशास्त्र सामाजिक व्यवहार और समाजों के विकास का वैज्ञानिक अध्ययन है।

समाजशास्त्र के माध्यम से हम सामाजिक संरचना सामाजिक संस्थाओं सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करते हैं।

समाजशास्त्र का उद्देश्य समाज को बेहतर ढंग से समझना और समाज के अंदर समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करना है। यह एक महत्वपूर्ण और रोचक विषय है, जो हमें समाज को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है।

समाजशास्त्र जैसे विषयों को पढ़कर हम इसका उपयोग समाज में फैली समस्याओं का समाधान खोजने के लिए और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए कर सकते हैं। और इसके माध्यम से सामाजिक नीतियों भी विकसित होती है।


समाजशास्त्र के जनक कौन है ? – Samajshastra Ke Janak Kaun Hai

समाजशास्त्र का जनक अगस्त कॉमटे (Auguste Comte) को माना जाता है। यह एक फ्रांसीसी विचारक थे, जिन्होंने 19वीं शताब्दी में समाजशास्त्र को एक विषय के रूप में स्थापित किया। इन्होंने समाजशास्त्र की नींव हेन्री सैन्ट सिमोन से प्रभावित होकर रखी थी।

समाजशास्त्र की नींव रखने का इनका एक महत्वपूर्ण उद्देश्य फ्रांस के सामाजिक स्थिति में सुधार करना था। क्योंकि समाजशास्त्र लोगों को समाधान खोजने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे में फ्रांस की स्थिति में आसानी से बदलाव लाया जा सकता था।

उन्होंने समाजशास्त्र शब्द, जिसे हम इंग्लिश में Sociology का भी एक अलग परिचय दिया है। इन्होंने बताया है कि समाज समाजशास्त्र शब्द लैटिन भाषा के Socius शब्द और ग्रीक भाषा के Logia शब्द से मिलकर बना है। जिसका पूरा मतलब सोशियोलॉजी (Sociology) होता है।

यहां पर Socius का मतलब साथी है और Logia का मतलब अध्ययन है। तो इस तरह से अपने समाज का अध्ययन करना ही समाजशास्त्र है। कामटे का मानना था कि समाज को वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन किया जा सकता है।

उन्होंने समाज के विकास के तीन चरणों का सिद्धांत इस समाजशास्त्र में दिया है जिसमें धार्मिक चरण आध्यात्मिक चरण और वैज्ञानिक चरण शामिल है। कामटे का कहना था कि समाज वैज्ञानिक चरण में पहुंच चुका है और समाजशास्त्र का काम समाज को समझना और उनमें सुधार करना है।


अगस्त कामटे कौन था ?

अगस्त कामटे एक फ्रांसीसी दार्शनिक समाजशास्त्रिक और समाज सुधारक थे। इनका जन्म 1798 में फ्रांस के माँटपेलीयर नगर में हुआ था। इन्होंने माँटपेलीयर विश्वविद्यालय में गणित और भौतिकी का अध्ययन किया।

1825 में इन्होंने एक दर्शनशास्त्र पत्रिका की स्थापना की, जिसे उन्होंने “द पॉजिटिव लिस्ट क्रॉनिकल” कहा। इस पत्रिका में उन्होंने अपने सकारात्मक दर्शन का प्रस्ताव रखा, जो वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है।

इन्हें इतिहास और दर्शनशास्त्र जैसे विषय पढ़ने ज्यादा पसंद थे। इसलिए आगे चलकर इन्होंने समाजशास्त्र की नींव भी रखी। इनकी मृत्यु 5 सितम्बर 1857 को हुई थी.

इन्होंने समाजशास्त्र से संबंधित कई अन्य रचनाएं भी की, जिसमें शामिल है।

  • A Prosctus of the scientific work required for the reorganization of society, 1822
  • System of positive polity, 1851-54
  • The course of positive philosophy, 1830-42
  • Catechism of positivism, 1852

अगस्त कामटे को समाजशास्त्र का जनक क्यों कहा जाता है ?

अगस्त कामटे ने समाजशास्त्र को बढ़ावा देने में अपना काफी योगदान दिया है। साथ ही उन्होंने समाजशास्त्र के माध्यम से फ्रांस की स्थिति में बदलाव भी लाया। इस कारण से इन्हें समाजशास्त्र का जनक कहा गया है।

कामटे का समाजशास्त्र में योगदान कुछ इस प्रकार है -:

  • कॉम्टे ने समाजशास्त्र को एक अलग विषय के रूप में स्थापित किया और समाजशास्त्र शब्द का परिचय दिया।
  • उन्होंने समाज के विकास के तीन चरणों का सिद्धांत दिया: धार्मिक चरण, आध्यात्मिक चरण और वैज्ञानिक चरण।
  • उन्होंने समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक विषय के रूप में विकसित करने का प्रयास किया।
  • उन्होंने समाजशास्त्र के लिए एक सकारात्मक दर्शन का प्रस्ताव रखा, जो वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है।
  • उन्होंने समाज की संरचना और कार्य के बारे में कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए, जैसे कि सामाजिक व्यवस्था का सिद्धांत, सामाजिक परिवर्तन का सिद्धांत और सामाजिक समस्याओं का सिद्धांत।

भारत में समाजशास्त्र के जनक कौन हैं ?

भारतीय समाजशास्त्र के जनक गोविंद सदाशिव घुर्ये को कहा जाता है। इन्होंने भारत में समाजशास्त्र का विकास किया और समाजशास्त्रीय सोच के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई। इन्होंने भारतीय समाज और संस्कृति पर केंद्रित समाजशास्त्र का वर्णन किया है।

यह मुंबई विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर थे और यह दूसरे व्यक्ति थे, जो इस विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख बने थे।


आधुनिक समाजशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है ?

आधुनिक समाजशास्त्र के जनक डेविड एमील दुर्ख़ाइम (1858-1917) है। यह फ्रांसीसी समाजशास्त्री भी थे और इन्होंने समाजशास्त्र को एक आधिकारिक विज्ञान के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इन्होंने 1895 में सोरबोन विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग की स्थापना की जो दुनिया का पहला समाजशास्त्र विभाग था। दुर्खीम ने समाजशास्त्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें सामाजिक विभाजन, सामाजिक एकता और सामाजिक तथ्यों का सिद्धांत शामिल है।

इन्होंने सामाजिक विभाजन को समाज की एक आवश्यक विशेषता के रूप में देखा, जिसे सामाजिक एकता को भी काफी बढ़ावा दिया।


समाजशास्त्र के रचयिता कौन है ?

अक्सर लोग सोचते हैं कि समाजशास्त्र के जनक अलग होते हैं और समाजशास्त्र के रचयिता अलग है। लेकिन हम आपको बता दें कि समाजशास्त्र के रचयिता भी अगस्त कामटे ही हैं।

उन्होंने 1838 में समाजशास्त्र शब्द का इस्तेमाल किया था और इस समय से इन्होंने समाजशास्त्र की रचना भी की। 1838 में इन्होंने अपनी सबसे पहली किताब पॉजिटिव फिलासफी में समाजशास्त्र के बारे में बात की थी।


औद्योगिक समाजशास्त्र के जनक कौन है ?

औद्योगिक समाजशास्त्र के जनक एल्टन मेयो हैं। उन्होंने 1924 से 1932 के बीच शिकागो में हॉथ्रोन प्रयोगों के माध्यम से इस क्षेत्र की नींव रखी। मेयो और उनके सहयोगियों ने औद्योगिक समाज का अध्ययन किया और इस क्षेत्र को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

एल्टन मेयो औद्योगिक समाजशास्त्र के विकास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। उनके काम ने औद्योगिक प्रबंधन और श्रमिकों के संबंधों को समझने के तरीके को बदल दिया।


FAQ, s :-

Q1. भारत में समाजशास्त्र की शुरुआत कब हुई ?

Ans. भारत में कई वर्षों पहले भी समाजशास्त्र से संबंधित ज्ञान दिए जाते थे और बातें पढ़ाई जाती थी, मगर 
1919 में भारत मे समाजशास्त्र को एक मान्यता प्राप्त अनुशासन के रूप  स्थापित किया गया था।

Q2. इतिहास का पिता कौन है ?

Ans. हेरोडोटस को इतिहास का पिता कहा जाता है।

Q3. समाजशास्त्र की सर्वप्रथम पुस्तक कौन सी है ?

Ans. समाजशास्त्र की सर्वप्रथम पुस्तक का नाम "Positive Philosophy" था

Q4. शिक्षा के समाजशास्त्र के जनक कौन है ?

Ans. हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि एमिल दुर्खीम और मैक्स वेबर को शिक्षा के समाजशास्त्र 
का जनक माना जाता है।

Q5. भारत के प्रमुख समाजशास्त्री कौन है ?

Ans. भारत के बहुत से ऐसे दिग्गज पुरुष है, जिन्होंने समाजशास्त्र पर सोध किया जैसे कि :- आर. देसाई, 
रामकृष्ण मुखर्जी, आंद्रे बेते, योगेन्द्र सिंह, एन. के. बोस, सुरजीत सिन्हा, बी. और इत्यादि।

Conclusion

दोस्तों उम्मीद है, कि आप हमारे इस लेख ( Samajshastra Ke Janak Kaun Hai ) को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़ चुके होंगे और इस लेख के माध्यम से आप जान चुके होंगे की समाजशास्त्र के जनक कौन है और समाजशास्त्र किन किन शब्दो से जुड़ कर मिला हुवा है।

अगर आपके मन में समाजशास्त्र से जुड़ा कोई भी सवाल है तो आप कमेंट करके अवश्य पूछे हमारे समूह आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश अवश्य से अवश्य करेगी।


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