Tulsidas ka janam kab hua tha :- आप लोग तुलसीदास का नाम तो अवश्य सुने होंगे, यह एक बहुत ही प्रसिद्ध कवि और लेखक है, इन्होंने अपने जीवन काल में बहुत ही प्रसिद्ध प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे हैं।
इस लेख में हम आपको तुलसीदास जी से जुड़ी हर एक जानकारी बताने वाले हैं और आपको यह भी बताएंगे, कि आखिर इनका जन्म कब हुआ था और इन्होंने कौन-कौन से साहित्य और ग्रंथ की रचना की है।
तो अगर आप उनके बारे में जानने के लिए इच्छुक हैं, तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे, तो चलिए शुरू करते हैं, इस लेख को बिना देरी किए हुए।
तुलसीदास कौन है? ( Tulsidas kaun hai )
रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास जी हैं। रामचरितमानस एक महाकाव्य है। यह महाकाव्य ही नहीं बल्कि एक धर्म ग्रंथ के रूप में भी लोकप्रिय है।
तुलसीदास जी हिंदी के सबसे पहले कवि रहे हैं। इन्हें विश्व कवि भी कहा जाता है। तुलसीदास जी के जीवन से यह तथ्य निकलकर सामने आता है कि किस प्रकार से एक आश्रयहीन और उपेक्षित बालक भी अपनी प्रतिभा के दम पर लोक में पूज्य बन सकता है।
तुलसीदास का जन्म कब हुआ था? (Tulsidas ka janam kab hua tha)
तुलसीदास का जन्म स्थान और जन्म समय का पूर्ण रूप से स्पष्टीकरण नहीं है। इस संबंध में अनेक विद्वानों के अनेक मतभेद है और इसी के अनुसार बांदा जिले के राजपुर को तुलसीदास जी का जन्म स्थान मान लिया गया है। वही तुलसी स्मारक का निर्माण भी यहीं किया गया है।
उनकी जन्मतिथि का समय सन 1554 से सन 1600 के बीच का माना जाता है। 1589 ई को उनकी जन्म का साल माना गया है। उनकी जन्मतिथि श्रावण शुक्ल सप्तमी की मान्य है।
तुलसीदास की जीवन परिचय
तुलसीदास जी का जन्म अभुक्त मूल नक्षत्र में हुआ था। इस नक्षत्र को माता-पिता के लिए मंगलकारी माना गया है। इसीलिए तुलसीदास जी के पिता ने उन्हें त्याग दिया और उनकी माता मुनिया को ही उन्हें सौंप दिया।
जब तुलसीदास जी 5 साल के थे तब मुनिया का देहांत हो गया। उसके बाद बालक ने दर- दर की ठोकरे खाने के लिए मजबूर हो गया। भिक्षा मांग कर वह अपना पेट भरता और इसी स्थिति का वर्णन तुलसीदास ने अपनी कविता के जरिए किया है कि
तनुजन्यो कुटिल किट ज्यों, तज्यो माता पिता हूं।
बाल्यावस्था में ही तुलसीदास जी की भेंट स्वामी नरहरिदास से हुई थी। उनसे तुलसीदास जी ने शिक्षा दीक्षा ग्रहण की और तुलसीदास जी ने नरहरिदास से ही राम कथा सुनी थी।
कुछ समय व्यतीत हो गया और तुलसीदास जी काशी चले आए। वहां पर उन्होंने प्रसिद्ध महात्मा शेषसनातन जी से 15 साल तक वेदांत पुराण, दर्शन, वेद इत्यादि का अध्ययन किया और अध्ययन के बाद तुलसीदास अपने जन्म स्थान राजापुर आ गए।
उनके परिवार में कोई भी जिंदा नहीं बचा था। उनका घर भी गिर गया था। जब तुलसीदास जी वहां रहने लगे, लोग उन्हें जाने लगे, तो एक ब्राह्मण तुलसीदास की विद्या और शील से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने अपनी कन्या रतनावली का विवाह तुलसीदास से करवा दिया।
जब उनकी पत्नी एक बार अपने मायके चली गई तो तुलसीदास जी उनके वियोग में वह उफनती नदी को पार करके उनके पास चले गए थे। तब उनकी पत्नी ने उन्हें कहा कि जितना प्रेम आप मेरे शरीर से करते हैं यदि इतना प्रभु से कर लिया होता तो आपको मुक्ति मिल गई होती।
पत्नी की यह बात सुनने के बाद वह चार धाम की यात्रा करके चित्रकूट आए और वहां से अयोध्या जाकर 1631 ईस्वी में रामचरितमानस की रचना की। यह ग्रंथ उन्होंने 2 साल और 7 महीनों में पूरा किया।
तुलसीदास जी का निधन कब हुआ ?
तुलसीदास जी का निधन 1680 में हुआ था। तीर्थ स्थान का भ्रमण करते हुए काशी के गंगा घाट पर सावन शुक्ल पक्ष की सप्तमी को उनका निधन हुआ था। उनकी मृत्यु से संबंधित एक बहुत ही प्रसिद्ध दोहा है :-
संवत सोलह सो अस्सी,
असी गंग के तीर,
श्रावण शुक्ल सप्तमी,
तुलसी तज्यो शरीर।
तुलसीदास द्वारा रचित कुछ रचनाएं
- वैराग्य संदीपनी
- बरवै रामायण
- दोहावली
- राम लला नहछु
- जानकी मंगल
- पार्वती मंगल
- कृष्ण गीतावली
- रामचरितमानस
- कवितावली
- गीतावली
- रामाज्ञा प्रश्प्रश्
- विनय पत्रिका
तुलसीदास द्वारा लिखे गए कुछ खास दोहे
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक। साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक।।
इसमें कवि तुलसीदास जी का कहना है कि किसी भी मुश्किल से यह सात गुण आपको बचाएंगे – 1.साहस , 2.विवेक, 3. सत्यनिष्ठा, 4. भगवान के प्रति आपका अटूट विश्वास, 5. विद्या, 6.विनय, 7. आपके भले कर्म
आवत ही हरष नहीं नैनन नहीं स्नेह।
तुलसी तन्हा न जाइए कंचन बरसे मेह।।
ऐसा समूह जहां पर आपके शामिल होने से लोग खुश नहीं होते, अगर वहां के लोगों की नजरों में आपके लिए सम्मान या प्यार नहीं है, तो अगर वहां सोना भी बरस रहा होगा, तब भी ऐसे स्थान में नहीं जाना चाहिए।
तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर। बसिकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर।।
तुलसीदास जी कहते हैं कि मीठे और सुख बोल चारों ओर का वातावरण भी सुखमय कर देते हैं। यह हर किसी को अपनी और आकर्षित करने का एक बहुत ही अच्छा मंत्र है। इसलिए हमें कठोर वाणी का प्रयोग नहीं करना चाहिए बल्कि सबसे मीठे बोल बोलने चाहिए।
तुलसी भरोसे राम के, निर्भय होके सोए । अनहोनी होनी नहीं, होनी हो सो होए।।
तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान पर भरोसा करिए और बिना किसी डर के शांति से सोइए। कुछ भी अनुचित या अनावश्यक नहीं होगा। अगर कुछ अनावश्यक घटना घटनी है तो वह घटकर ही रहेगी इसके लिए चिंता क्यों करनी।
FAQ,S:-
Q1. तुलसीदास के जन्म का नाम क्या था ?
Ans. तुलसीदास के जन्म का नाम " रामबोला " था।
Q2. तुलसीदास कितने साल जिए थे ?
Ans. तुलसीदास लगभग 126 वर्ष जिये थे।
Q3. तुलसीदास ने रामचरितमानस कब लिखा था ?
Ans. तुलसीदास जी ने रामचरितमानस 1574 और 1576/77 के बीच लिखा था।
Q4. तुलसीदास ने रामायण क्यों लिखी ?
Ans. तुलसीदास जी राम के कहानी को पूरे जनता तक पहुंचाना चाहते थे, इसी कारण से इन्होंने रामचरित्र मानस लिखा।
Q5. रामायण के सातों कांड कौन से है ?
Ans. रामायण के सातों कांड का नाम कुछ इस प्रकार से है :- बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड।
Conclusion :-
तो दोस्तों हमें उम्मीद है, कि आप हमारे इस लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़ चुके होंगे और इस लेख के माध्यम से आप जान चुके होंगे, कि तुलसीदास का जन्म कब और कहाँ हुआ था और तुलसीदास के रचयिता कौन कौन से है।
इस लेख को अंत तक पढ़ने के धन्यवाद।
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